ठाकुर जी को ताता खानी। एक मधुर बाल लीला.....

 जय श्री कृष्ण

ठाकुर जी को ताता खानी।

एक मधुर बाल लीला.....


ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकी हुई मिर्च लेकर आ गईं क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। 


लाकर थाली एक ओर रख दई तो अब भगवान बोले कि बाबा हमें और कछु नहीं खानौ , ये खवाऔ ये कहा है ? हम ये खाएंगे तो नन्द बाबा डराने लगे की नाय-नाय लाला ये तो ताता है तेरो मुँह जल जाओगो तो भगवान बोले नाय बाबा अब तो ये ही खानो है मोय


खूब ब्रजरानी यशोदा को बाबा ने डाँटौ कि मेहर तुम ये क्यों लेकर आईं ? तुमको मालूम है ये बड़ौ जिद्दी है , ये मानवौ वारौ नायं फिर भी तुम लेकर आ गईं।

अब गलती हो गई ठाकुर जी मचल गए बोले अब बाकी भोजन पीछे होगा पहले ये ताता ही खानी है मुझे , पहले ये खवाओ । बाबा पकड़ रहे थे , रोक रहे थे पर इतने में तो उछलकर थाली के निकट पहुंचे और अपने हाथ से उठाकर मिर्च खा ली और अब ताता ही हो गई वास्तव में , ताता भी नहीं " ता था थई " हो गई ।


अब महाराज भागे डोले फिरे सारे नन्द भवन में बाबा मेरौ मों जर गयौ , बाबा मेरो मों जर गयौ , मों में आग लग गई मेरे तो बाबा कछु करो और पीछे-पीछे ब्रजरानी यशोदा , नन्द बाबा भाग रहे हैं हाय-हाय हमारे लाला को मिर्च लग गई , हमारे कन्हैया को मिर्च लग गई ।


महाराज पकड़ा है प्रभु को और इस लीला को आप पढ़ो मत बल्कि देखो ।


गोदी में लेकर नन्द बाबा रो रहे हैं अरी यशोदा चीनी लेकर आ मेरे लाला के मुख ते लगा और इतना ही नहीं बालकृष्ण के मुख में नन्द बाबा फूँक मार रहे है ।


आप सोचो क्या ये सौभाग्य किसी को मिलेगा ? जैसे बच्चे को कुछ लग जाती है तो हम फूँक मारते हैं बेटा ठीक है जाएगी वैसे ही बाल कृष्ण के मुख में बाबा नन्द फूँक मार रहे हैं ।


देवता जब ऊपर से ये दृश्य देखते हैं तो देवता रो पड़ते हैं और कहते हैं कि प्यारे ऐसा सुख तो कभी स्वपन में भी हमको नहीं मिला जो इन ब्रजवासियों को मिल रहा है तो आगे यदि जन्म देना तो इन ब्रजवासियों के घर का नौकर बना देना , यदि इनकी सेवा भी हमको मिल गई तो देवता कहते हैं हम धन्य हो जाएंगे


मधुर बाल कृष्ण की जय।

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